ऐसे ही नहीं बनते युगपुरुष, इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गए PM मोदी | – News in Hindi

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Ram Mandir Pran Pratishtha: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक ऐसी श्रेणी में ला खड़ा किया है, जहां उनको आक्रांताओं से भरे इतिहास को पलट कर एक नए युग की शुरुआत करने वाले के तौर पर याद किया जाएगा. दुनिया भर में दर्जनों प्राचीन सभ्यताएं और संस्कृतियां रहीं हैं. सबने वक्त और आक्रांताओं की विभीषिका झेली है. कई बार ध्वस्त हुए सम्राज्यों ने वापस अपनी रौनक पायी है. मगर 22 जनवरी को भारत के अयोध्या में जो हुआ, वैसा उदाहरण आने वाली सदियों में नहीं मिलेगा. ये महज संयोग ही नहीं था कि पीएम मोदी के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. ये इत्तिफाक नहीं था कि पीएम मोदी ने खुद ही आकर 4 साल पहले भूमि पूजन किया.

इतिहास गवाह है कि पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू से लेकर इन 75 सालों मे भारत की सत्ता पर काबिज हुई सरकारों ने राम मंदिर की राह में कितने रोड़े अटकाए. कोर्ट ने बाधा भी डाली. धर्म गुरुओं ने पेंच फंसाया. लेकिन ये तो नियति ही थी. अब प्राण प्रतिष्ठा के जजमान बन कर पीएम मोदी ने साबित कर दिया है कि इतिहास को बदला तो नही जा सकता लेकिन पलटा जरूर जा सकता है. वाकई राम के जन्म स्थान पर मंदिर तोड़ कर मुगल बादशाह बाबर के सेनपति मीर बकी ने बाबरी मस्जिद बनाई. लेकिन विवाद को खत्म नही कर पाए. आजाद भारत में भी रामभक्त लड़ते रहे. लेकिन आजादी के 75वें साल मे पीएम मोदी ने सदियों की इस लड़ाई का अंत कर ही दिया.

पीएम मोदी की भीष्म प्रतिज्ञा

पीएम मोदी ने खुद भीष्म प्रतिज्ञा की थी कि जब तक राम मंदिर नहीं बनेगा, वो अयोध्या में कदम नहीं रखेंगे. 32 साल बाद जब वो अयोध्या आए तो रामलला के मंदिर की नींव रखने के लिए. इतिहास के पन्नों में यह दर्ज हो गया है कि इन अलौकिक पलों में शामिल होने के लिए देश भर की नामी-गिरामी हस्तियों को अयोध्या आने का न्यौता दिया गया. इन 8 हजार लोगों में शीर्ष उद्योगपति, नामी गिरामी अभिनेता, समाज के गणमान्य लोग, देश के सभी हिस्सों से आए साधु संत शामिल हैं, ये सभी एक पुकार पर अयोध्या पहुंचे. आलम ये है कि पूरे देश में और हर घर में पीएम मोदी की पुकार पर शाम को दिए जलाए जा रहे हैं. हर व्यक्ति मानों राममय हो गया है. दुनिया भर में बसे हिंदस्तानी भी राम धुन पर झूम रहे हैं.

इतिहास याद रखेगा भव्य राम मंदिर का निर्माण

सैकड़ो सालों की प्रतीक्षा और संघर्ष का पल समाप्त हुआ. शायद दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि किसी बहुसंख्यक समाज ने अपने ही इष्ट देव मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंदिर बनाने के लिए इतनी लंबी लडाई लड़ी होगी. लेकिन पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद मानों चीजें आसान होती चलीं गई. सभी पक्षों ने मान लिया कि जो फैसला कोर्ट करेगा, वो मान्य होगा. संघ ने भी ऐलान कर दिया की कोर्ट का चाहे जो फैसला आए, कोई भी हिंदू जश्न नहीं मनाएगा. कोर्ट का फैसला आया और पूरी दुनिया ने दांतों तले अंगुली दबा ली कि आखिर किसी भी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई और ना ही कोई भड़काने वाली बयानबाजी हुई. उलटे आरएसएस प्रमुख ने ऐलान कर दिया कि अब वो कोई जन आंदोलन नहीं करेगा.

पीएम मोदी के कारण सब संभव हुआ

ये सब संभव हुआ पीएम नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के कारण. इसलिए जब मंदिर परिसर में सरसंघचालक ने कहा कि वो पीएम को बरसों से जानते हैं और वो ये भी जानते हैं कि पीएम कठोर तप करने वाले तपस्वी भी हैं तो पूरा सभास्थल करतल ध्वनि से गूंज उठा. सही है पीएम मोदी ने 11 दिनों के अनुष्ठान में कठिन तप किया. जितना कहा गया था, उससे कहीं ज्यादा नियमों का पालन किया. तभी तो दुनिया ने देखा कि इतिहास के पन्नों में दर्ज चीजें भी इतिहास बन गईं. राम मंदिर ने पूरे देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया है और राम के नाम पर उत्तर से दक्षिण को एक सूत्र में पिरो दिया है. पीएम मोदी ने कहा कि 22 जनवरी 2024 इतिहास के पन्नों में एक अलैकिक पल के रुप मे दर्ज हो गया है और नए युग की शुरुआत हो रही है. पीएम मोदी ने भी कहा कि इसे हजारों सालों तक याद किया जाएगा. क्योंकि राम के अयोध्या लौटने के बाद राम राज का असर हजारों सालों तक था और अब प्राण प्रतिष्ठआ के बाद राम लला वापस लौटे हैं तो इसका असर भी हजारों सालों तक रहने वाला है.

पूरे देश को राम नाम पर एक सूत्र में पिरोया

अपने 11 दिनों के अनुष्ठान में पीएम महाराष्ट्र से लेकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल के उन तमाम मंदिरों में गए और पूजा अर्चना की, जो राम से जुड़े हुए हैं. पीएम मोदी ने राम-जटायु, मां शबरी, पंचवटी, केवट राज, विभीषण से मुलाकात, राम सेतु के शुरुआत की जगह जैसे कई मंदिरों से दर्शन कर ये संदेश दिया कि पूरे भारत को एक ही धागे ने जोड़ रखा है और वो है राम नाम का धागा. इसी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख तो पीएम पूरी दुनिया में जगाते चल रहे हैं, जिसके दम पर भारत विश्व गुरु बनने के सपने देख रहा है. पीएम मोदी ने रामायण से जुड़े पात्रों के नाम डाक टिकट जारी कर भारत में पली बढ़ी तमाम संस्कृतियों के योगदान को पहचान दी है. साथ ही एक 48 पन्नों की पुस्तिका भी जारी की, जिसमें अमेरिका समेत 20 देशों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा भगवान राम पर जारी किए गए डाक टिकटों का संकलन है. इसलिए पीएम मोदी कहते है कि सरयू से समुद्र तक एक ही नाम सबको एक सूत्र में पिरो रहा है, वो है राम का नाम. दक्षिण भारत के राज्यों में जहां बीजेपी की पैठ थोड़ी कम है, वहां राम नाम का जाप आने वाले दिनों में रंग ला सकता है.

राम मंदिर के साथ साथ जन कल्याण भी प्राथमिकता है

अयोध्या का मानों कायाकल्प हो गया है. एक अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया है. एक विश्व स्तरिय रेलवे स्टेशन तैयार किया जा रहा है. अयोध्या की सड़कें और दूसरे स्थानों से इसकी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए यूपी और केन्द्र सरकार लग गई हैं. पर्यटन और भक्ति का एक अद्भुत मिश्रण तैयार करने का पीएम मोदी का सपना अयोध्या में साकार हे रहा है. उधर अपने 11 दिनों के अनुष्ठान के साथ स्वच्छ तीर्थ अभियान की शुरुआत की है. खुद नासिक के मंदिर में झाड़ू लगाकर पीएम ने इसकी शुरुआत क्या की, हफ्ते भर में ही ये एक जन आंदोलन बन गया. नेता, अधिकारी, आम आदमी अपने पूजा स्थलों की सफाई में लग गया है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि राम मंदिर साक्षी बनेगा भव्य भारत और विकसित भारत के उदय का. ये भारत का समय है और शताब्दियों की प्रतिक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं और अब हम रुकेंगे नहीं. ये सिर्फ देश के लिए संदेश नहीं था बल्कि पीएम मोदी का अपना संकल्प भी था जिसमें अपनी पुरातन परंपराओं के सहारे विकसित भारत भी बनाना है और इसे विश्व के अग्रणी देशों में शामिल भी करना है.

ब्लॉगर के बारे में

अमिताभ सिन्हाएक्जूक्यूटिव एडिटर, न्यूज 18 इंडिया.

अमिताभ सिन्हा News18 India के एक्जिक्यूटिव एडिटर हैं. प्रिंट और टीवी पत्रकारिता में पच्चीस साल से ज्यादा का अनुभव है. पटना ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से करियर की शुरुआत की और ‘आज तक’ में तकरीबन 14 साल तक रिपोर्टिंग की. सात साल से नेटवर्क 18 से जुड़े हुए हैं. हिंदी और अंगरेजी भाषाओं में समान अधिकार से लिखने वाले अमिताभ सिंहा ने देश -विदेश के बहुत से महत्वपूर्ण आयोजनों और घटनाओं की रिपोर्टिंग की है. संसदीय पत्रकारिता का लंबा अनुभव है, साथ ही सरकार की नीतियों और योजनाओं पर खास पकड़ रखते हैं. News18 की हिंदी और अंगरेजी दोनों भाषाओं की वेबसाइट पर लगातार लिखते रहते हैं. उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की है.

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