वार्ड नंबर 37 में मरी माता मंदिर को जाने वाले मार्ग के निर्माण में किया घोटाला
*कागजों में सड़क बना लाखों डकार गए जिम्मेदार*
– वार्ड नंबर 37 में मरी माता मंदिर को जाने वाले मार्ग के निर्माण में किया घोटाला
– जिला पंचायत निधि का बोर्ड लगा जनता की आँख में धूल झोंक रहा ठेकेदार
*राजेश*
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*सुल्तानपुर।* सड़क निर्माण के नाम पर खुलेआम घोटाला किया जा रहा है। कागजों में सड़क बना कर लाखों लाख सरकारी रुपयों का बंदर बांट कर अफसर और ठेकेदार मालामाल हो रहे हैं, वहीं जनता दुश्वारियों की शिकार हो रही है। जनप्रतिनिधि भी अपनी हिस्सेदारी लेकर खुश हैं, जनता को मुश्किलें झेलनी पड़ें उनकी बला से। ऐसा ही ताजा मामला जिला पंचायत परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 37 में देखने को मिला है, जहां बिना सड़क निर्माण हुए बोर्ड लगा कर जनता को बेवकूफ बनाया गया है।
बात कर रहे हैं वार्ड नंबर 37 (भदैया ब्लॉक मुख्यालय के उत्तरी दिशा) की। कुछमुछ- छतौना मार्ग पर मलिकपुर गांव है। मलिकपुर गांव से इस्लामगंज गांव में स्थित मा मरी माता मंदिर तक करीब एक किलोमीटर का संपर्क मार्ग है। दशकों पहले जिला पंचायत सदस्य शायरा बानों के पति यार मोहम्मद उर्फ ननकू नेता ने जिला पंचायत निधि से पिच करवाया था। उक्त मार्ग वर्तमान में खस्ताहाल हो चुका है। बीते दिनों सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ तो लोगों को बेहतर मार्ग की उम्मीद जगी, लेकिन मार्ग का निर्माण भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ गया। महज 10-15 मीटर सड़क बनाई गई वह भी घटिया किस्म की। जो बनते ही उखड़ गयी है। कई दिनों तक लोग इस इंतजार में रहे कि शायद मजदूर छुट्टी पर चले गए हैं, इसलिए काम रोका गया। लेकिन सप्ताह भर पहले जब सड़क के पूरा निर्माण का बोर्ड लगाया गया तो फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया।
*अंजान बने रहे जिला पंचायत सदस्य*
वार्ड नंबर 37 की जनता ने आसिफ खान को जिला पंचायत सदस्य चुना है। नेता जी जब से जीत का स्वाद चखे हैं, वे मुड़ कर जनता की तरफ देखे तक नहीं। यही कारण कि उनके क्षेत्र में उनकी ही निधि से सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा हो गया और उन्हें भनक तक नहीं लगी। जबकि बोर्ड में उनके द्वारा लोकार्पण किया जाना दर्शाया गया है।
*सुनिए क्या बोले नेता जी*
सड़क निर्माण की जानकारी जब जिला पंचायत सदस्य आसिफ़ खान से की गयी तो पहले उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है। बोर्ड और सड़क की फोटो भेजने को कहा, जब पूरी जानकारी और फोटो उनके पास पहुंची तो उन्होंने तहकीकात शुरू किया। कुछ देर बाद फोन करके उन्होंने बताया कि, ठेकेदार से जानकारी मिली है कि सड़क बहुत जर्जर हो चुकी है। उसकी मरम्मत होने थी, लेकिन बजट केवल 1.95 लाख ही मिला था। कम बजट होने की वजह से पूरी सड़क नहीं बन पायी है। हालाँकि उन्होंने, फिर से प्रस्ताव भेजने की बात कहीं है।